आखिरकार नाभिकीय विघेयक संसद के दोनों सदनों में बिना खास बाघा के परित हो गया। सत्तापक्ष व विपक्ष सभी ने भरपूर स्वांग रचने के बाद देशहित और विकास के नाम पर इस विघेयक को मंजूरी दे दी। संसदीय वामपंथियों ने अंततः अपने नीतिगत विरोध को मोलतोल और मुआवजे की राशि तक सीमित कर लिया।
वामपंथियों का नाभिकीय ऊर्जा और इस सम्बन्ध में अमेरिकी के साथ हुए समझौते पर इस कदर विरोध का दिखावा रहा है कि इसे नीतिगत व उसूली विरोघ की संज्ञा देकर उन्होंने पिछली संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेकर सरकार गिराने की काशिश की थी। वह तो कांग्रेसियों के जोड़तोड़ एवं खरीद-फरोख्त और संसदीय वामपंथियों के साथ उनके पुराने मित्रों के विश्वासघात के चलते उस समय सरकार गिरने से बच गयी थी। नाभिकीय दायित्व विघेयक वस्तुतः अमेरिका के साथ असैन्य नाभिकीय समझौते का ही विस्तार है। उसके व्यवहारिक पहलू का एक हिस्सा है। लेकिन दो साल के अंदर संसदीय वामपंथी अपना उसूली विरोघ भुला चुके थे।
नाभिकीय दायित्व बिल एक ऐसे समय पर आया है जब भोपाल गैस कांड पर आदालती फैसले ने न्यायपालिका एवं अलग&अलग सरकारों सहित समूचे भारतीय पूंजीवादी राज्य के सभी हिस्सों को जनता की नजर में एकदम नंगा कर दिया था। भारतीय राज्यतंत्र से अपनी कुरूपता छिपाये नहीं छिप सकी थी। यह फैसला आने के बाद भारतीय पूंजीपति वर्ग के संगठन फिक्की की प्रतिक्रिया तो और भी बेहयायी भरी थी। फिक्की के अध्यक्ष का बयान था कि भोपाल गैस कांड के अदालती फैसले में कंपनी के कुछ अघिकारियों को मिली नाम मात्र की सजा देना भी गलत था क्यों आखिरकार नाभिकीय विघेयक संसद के दोनों सदनों में बिना खास बाधा के परित हो गया। सत्तापक्ष व विपक्ष सभी ने भरपूर स्वांग रचने के बाद देशहित और विकास के नाम पर इस विघेयक को मंजूरी दे दी। संसदीय वामपंथियों ने अंततः अपने नीतिगत विरोध को मोलतोल और मुआवजे की राशि तक सीमित कर लिया।
वामपंथियों का नाभिकीय ऊर्जा और इस सम्बन्ध में अमेरिकी के साथ हुए समझौते पर इस कदर विरोध का दिखावा रहा है कि इसे नीतिगत व उसूली विरोघ की संज्ञा देकर उन्होंने पिछली संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेकर सरकार गिराने की काशिश की थी। वह तो कांग्रेसियों के जोड़तोड़ एवं खरीद&फरोख्त और संसदीय वामपंथियों के साथ उनके पुराने मित्रों के विश्वासघात के चलते उस समय सरकार गिरने से बच गयी थी। नाभिकीय दायित्व विघेयक वस्तुतः अमेरिका के साथ असैन्य नाभिकीय समझौते का ही विस्तार है। उसके व्यवहारिक पहलू का एक हिस्सा है। लेकिन दो साल के अंदर संसदीय वामपंथी अपना उसूली विरोघ भुला चुके थे।
नाभिकीय दायित्व बिल एक ऐसे समय पर आया है जब भोपाल गैस कांड पर आदालती फैसले ने न्यायपालिका एवं अलग&अलग सरकारों सहित समूचे भारतीय पूंजीवादी राज्य के सभी हिस्सों को जनता की नजर में एकदम नंगा कर दिया था। भारतीय राज्यतंत्र से अपनी कुरूपता छिपाये नहीं छिप सकी थी। यह फैसला आने के बाद भारतीय पूंजीपति वर्ग के संगठन फिक्की की प्रतिक्रिया तो और भी बेहयायी भरी थी। फिक्की के अध्यक्ष का बयान था कि भोपाल गैस कांड के अदालती फैसले में कंपनी के कुछ अघिकारियों को मिली नाम मात्र की सजा देना भी गलत था क्योंकि इससे विदेशी निवेशकों को गलत संदेश गया है।
नाभिकीय बिल एक ऐसे समय पर आया है जब पूरी दुनिया अमेरिका द्वारा हिरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु हमले की ६५ वीं वर्षगांठ पर परमाणु हमलों की विभीशिका को याद कर रही थी। स्मरण रहे कि अमेरिका के द्वारा किए गए इन हमलों में लाखों लोग मारे गये और जितने लोग परमाणु बम विस्फोट के समय मारे गए ;लगभग 80 हजार व 67 हजारद्ध उससे कहीं अघिक बाद में फैले नाभिकीय विकिरण द्वारा मारे गए अथवा कैंसरए स्नायुतंत्र की बीमारियों व अन्य शारीरिक मानसिक व वंशगत विकृतियों के शिकार हुए। नाभिकीय विकिरण फैलने की संभावना नाभिकीय संयंत्रों में कभी खत्म नहीं की जा सकती।
1986 में चेर्नोबिल ;पूर्व सोवियत संघ के यूक्रेन स्थितद्ध नाभिकीय संयंत्र में हुए रेडियो एक्टिव विकिरण ;रेडिएशनद्ध के रिसाव की घटना ने पूरी दुनिया का ध्यान नाभिकीय संयंत्रों के साथ जुड़ी दुर्घटनाओं के पहलू की ओर खींचा। चेर्नोबिल कांड के समय तीन दर्जन से अघिक लोग तत्काल विकिरण के प्रभाव से मर गए तथा 150 बुरी तरह प्रभावित हुए व आंशिक व पूर्ण शारीरिक मानसिक विकृति के शिकार हुए। हजारों हेक्टेअर कृषि तबाह हो गयी। पूरे उŸारी गोलार्घ में विकिरण फैल जाने से करोड़ों की तादाद में जन संख्या के विकिरण की चपेट में आने की संभावना पैदा हो गई। दुर्घटना के चार घंटे के भीतर 30 किलोमीटर की परिघि में रहने वाली एक लाख की आबादी को तुरंत विस्थापित करना पड़ा। यह इलाका आज तक निर्जन है।
चेर्नोबिल कांड के बाद नाभिकीय दुर्घटनाओं के प्रति जवाबदेही व उŸारदायित्व की गंभीरता से लिया गया तथा इसके प्रति एक विश्व जनमत तैयार हुआ। विभिन्न सरकारों को इस जनमत के दबाव के चलते अपने यहां नाभिकीय दायित्व कानून बनाने के लिए बाध्य होना पड़ा। कई मुल्कों ने तो ऊर्जा के इस विध्वंसक उत्पादन से दूरी बना ली।
भारत में नाभिकीय विघेयक के पीछे जनता के प्रति उŸारदायित्वों से पिंड छुड़ाने की देशी विदेशी पूंजी को छूट देने की भावना निहित थी। विघेयक की मुख्य बातों पर गौर करने पर यह बात साफ हो जाती है।
नाभिकीय विघेयक में संयंत्र संचालन की गंभीर जिम्मेदारी सरकार ने निजी ऑपरेटरों को दी है जो कि अघिकतम मुनाफा निचोड़नेनाभिकीय संयंत्रों का संचालन करती है। अभी तक भारत मंे भी ऐसा ही होता रहा है।
मुआवजे के संबंघ में विघेयक में अघिकतम 500 करोड़ रुपये प्रस्तावित था जिसे बाद में 1500 करोड़ अघिकतम कर दिया गया। इसे ऑपरेटर को भुगतान करना होगा। इससे अघिक की राशि के लिए सरकारी खजाने ;जो वस्तुतः जनता का ही घन होता हैद्ध तथा विदेशी साझा कोष से मदद जुटाने का प्रावघान है। यह साझा कोष न तो अभी अस्तित्वमान है औ ही न भविष्य में आकार लेता दिखाई देता है। और तो और इसके निर्माण के लिए अमरीका व भारत ने अपनी सहमति अभी तक नहीं दी है। नाभिकीय दुर्घटना के मुआवजे में यह प्रावघान है कि दुर्घटना का व्यापकता व प्रभाव को देखते हुए मुआवजा राशि अघिकतम 100 करोड़ तक भी सीमित की जा सकती है। कुल मिलाकर संसद में पारित नाभिकीय विघेयक में जो मुआवजा राशि निर्घारित की गयी है वह भोपाल गैस कांड के बाद दिए गए मुआवजे से भी कम है जबकि नाभिकीय दुर्घटनाओं की भयावहता व व्यापकता औद्योगिक दुर्घटनाओं से कहीं ज्यादा है।
विघेयक में आपूर्तिकर्ता ;ईघन तकनीक व उपकरणद्ध के लिए कोई जिम्मेदारी जवाबदेही अथवा दुर्घटना की स्थिति में मुआवजे का प्रावघान नहीं है भले ही दुर्घटना में खराब उपकरणों या ईंघन की कोई भूमिका हो। ऐसा इसलिए है क्योंकि ईंघन व तकनीक आपूर्तिकर्ता ज्यादातर साम्राज्यवादी मुल्क हैं।
दुर्घटना के लिए मुआवजा व दोष निर्घारण हेतु एक आयोग बनाने की सिफारिश विघेयकन्यायाघीशों तथा उच्च सरकारी नौकरशाहों को शामिल करने की बात की गयी है। जनता अथवा पीड़ित पक्ष का इसमें कोई प्रतिनिघित्व नहीं होगा। और तो और इस आयोग के फैसले को किसी स्थानीय या उच्च अदालत मंे चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
इसी तरह विघेयक में यह प्रावघान भी है कि दावा आयोग के सामने अघिकतम दस वर्ष के भीतर ही दावा किया जा सकता है जबकि यह सर्वविदित है कि नाभिकीय विकीरण के प्रभाव कई साल बाद भी प्रकट होते हैं मसलन कैंसर व स्नायु तंत्र की गड़बड़ी संबंघी। कभी कभी तो ये नई पीढ़ियों में भी प्रकट होते हैं तथा स्थायी वंशगत विकृति का रूप ले लेते हैं।
विघेयक में दुर्घटना होने पर गैरजानकारी की स्थ्तिि में उच्च अघिकारियों को दुर्घटना की जिम्मेदारी से बरी करने तथा केन्द्र सरकार के अघिकारियों को दोषी न ठहराये जाने का प्रावघान भी है। इसके साथ विघेयक में कई अन्य उपविघान हैं जिनसे दोषियों को अभयदान मिलने तथा पीड़ितों से पिंड छुड़ाने में सहूलियत होगी। कुल मिलाकर देशी विदेशी पूंजी को खून पसीने के साथ अब भारत की जनता के जीवन को भी मुनाफे में बदलने की छूट विघेयक देता है। इसी को पूंजीवादी पार्टियां राष्ट्र हित कह रही है।। कि इससे विदेशी निवेशकों को गलत संदेश गया है।
नाभिकीय बिल एक ऐसे समय पर आया है जब पूरी दुनिया अमेरिका द्वारा हिरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु हमले की ६५ वीं वर्षगांठ पर परमाणु हमलों की विभीशिका को याद कर रही थी। स्मरण रहे कि अमेरिका के द्वारा किए गए इन हमलों में लाखों लोग मारे गये और जितने लोग परमाणु बम विस्फोट के समय मारे गए (लगभग 80 हजार व 67 हजार) उससे कहीं अघिक बाद में फैले नाभिकीय विकिरण द्वारा मारे गए अथवा कैंसर, स्नायुतंत्र की बीमारियों व अन्य शारीरिक मानसिक व वंशगत विकृतियों के शिकार हुए। नाभिकीय विकिरण फैलने की संभावना नाभिकीय संयंत्रों में कभी खत्म नहीं की जा सकती।
1986 में चेर्नोबिल (पूर्व सोवियत संघ के यूक्रेन स्थित) नाभिकीय संयंत्र में हुए रेडियो एक्टिव विकिरण (रेडिएशन) के रिसाव की घटना ने पूरी दुनिया का ध्यान नाभिकीय संयंत्रों के साथ जुड़ी दुर्घटनाओं के पहलू की ओर खींचा। चेर्नोबिल कांड के समय तीन दर्जन से अघिक लोग तत्काल विकिरण के प्रभाव से मर गए तथा 150 बुरी तरह प्रभावित हुए व आंशिक व पूर्ण शारीरिक मानसिक विकृति के शिकार हुए। हजारों हेक्टेअर कृषि तबाह हो गयी। पूरे उŸारी गोलार्घ में विकिरण फैल जाने से करोड़ों की तादाद में जन संख्या के विकिरण की चपेट में आने की संभावना पैदा हो गई। दुर्घटना के चार घंटे के भीतर 30 किलोमीटर की परिघि में रहने वाली एक लाख की आबादी को तुरंत विस्थापित करना पड़ा। यह इलाका आज तक निर्जन है।
चेर्नोबिल कांड के बाद नाभिकीय दुर्घटनाओं के प्रति जवाबदेही व उŸारदायित्व की गंभीरता से लिया गया तथा इसके प्रति एक विश्व जनमत तैयार हुआ। विभिन्न सरकारों को इस जनमत के दबाव के चलते अपने यहां नाभिकीय दायित्व कानून बनाने के लिए बाध्य होना पड़ा। कई मुल्कों ने तो ऊर्जा के इस विध्वंसक उत्पादन से दूरी बना ली।
भारत में नाभिकीय विघेयक के पीछे जनता के प्रति उŸारदायित्वों से पिंड छुड़ाने की देशी विदेशी पूंजी को छूट देने की भावना निहित थी। विघेयक की मुख्य बातों पर गौर करने पर यह बात साफ हो जाती है।
नाभिकीय विघेयक में संयंत्र संचालन की गंभीर जिम्मेदारी सरकार ने निजी ऑपरेटरों को दी है जो कि अघिकतम मुनाफा निचोड़ने की छूट की भावना से प्रेरित है। विकसित साम्राज्यवादी मुल्कों तक में सरकार इस मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए खुद ही नाभिकीय संयंत्रों का संचालन करती है। अभी तक भारत मंे भी ऐसा ही होता रहा है।
मुआवजे के संबंघ में विघेयक में अघिकतम 500 करोड़ रुपये प्रस्तावित था जिसे बाद में 1500 करोड़ अघिकतम कर दिया गया। इसे ऑपरेटर को भुगतान करना होगा। इससे अघिक की राशि के लिए सरकारी खजाने (जो वस्तुतः जनता का ही घन होता है) तथा विदेशी साझा कोष से मदद जुटाने का प्रावघान है। यह साझा कोष न तो अभी अस्तित्वमान है औ ही न भविष्य में आकार लेता दिखाई देता है। और तो और इसके निर्माण के लिए अमरीका व भारत ने अपनी सहमति अभी तक नहीं दी है। नाभिकीय दुर्घटना के मुआवजे में यह प्रावघान है कि दुर्घटना का व्यापकता व प्रभाव को देखते हुए मुआवजा राशि अघिकतम 100 करोड़ तक भी सीमित की जा सकती है। कुल मिलाकर संसद में पारित नाभिकीय विघेयक में जो मुआवजा राशि निर्घारित की गयी है वह भोपाल गैस कांड के बाद दिए गए मुआवजे से भी कम है जबकि नाभिकीय दुर्घटनाओं की भयावहता व व्यापकता औद्योगिक दुर्घटनाओं से कहीं ज्यादा है।
विघेयक में आपूर्तिकर्ता (ईघन तकनीक व उपकरण) के लिए कोई जिम्मेदारी जवाबदेही अथवा दुर्घटना की स्थिति में मुआवजे का प्रावघान नहीं है भले ही दुर्घटना में खराब उपकरणों या ईंघन की कोई भूमिका हो। ऐसा इसलिए है क्योंकि ईंघन व तकनीक आपूर्तिकर्ता ज्यादातर साम्राज्यवादी मुल्क हैं।
दुर्घटना के लिए मुआवजा व दोष निर्घारण हेतु एक आयोग बनाने की सिफारिश विघेयकन्यायाघीशों तथा उच्च सरकारी नौकरशाहों को शामिल करने की बात की गयी है। जनता अथवा पीड़ित पक्ष का इसमें कोई प्रतिनिघित्व नहीं होगा। और तो और इस आयोग के फैसले को किसी स्थानीय या उच्च अदालत मंे चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
इसी तरह विघेयक में यह प्रावघान भी है कि दावा आयोग के सामने अघिकतम दस वर्ष के भीतर ही दावा किया जा सकता है जबकि यह सर्वविदित है कि नाभिकीय विकीरण के प्रभाव कई साल बाद भी प्रकट होते हैं मसलन कैंसर व स्नायु तंत्र की गड़बड़ी संबंघी। कभी कभी तो ये नई पीढ़ियों में भी प्रकट होते हैं तथा स्थायी वंशगत विकृति का रूप ले लेते हैं।
विघेयक में दुर्घटना होने पर गैरजानकारी की स्थ्तिि में उच्च अघिकारियों को दुर्घटना की जिम्मेदारी से बरी करने तथा केन्द्र सरकार के अघिकारियों को दोषी न ठहराये जाने का प्रावघान भी है। इसके साथ विघेयक में कई अन्य उपविघान हैं जिनसे दोषियों को अभयदान मिलने तथा पीड़ितों से पिंड छुड़ाने में सहूलियत होगी। कुल मिलाकर देशी विदेशी पूंजी को खून पसीने के साथ अब भारत की जनता के जीवन को भी मुनाफे में बदलने की छूट विघेयक देता है। इसी को पूंजीवादी पार्टियां राष्ट्र हित कह रही है।।
No comments:
Post a Comment