Sunday, November 19, 2017

मोदी की गिरती साख बचाने की जी-तोड़ कोशिश

संघी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस समय काफी संकट में हैं और भारत का पूंजीपति वर्ग ही नहीं, साम्राज्यवादी पूंजीपति वर्ग भी उनकी रक्षा में जी-जान से आ जुटा है
पिछले महीने भर में साम्राज्यवादी संस्थाओं की ओर से कम से कम तीन रपटें मोदी की रक्षा में जारी की गई हैं। पहले बदनाम विश्व बैंक ने बताया कि भारत में व्यवसाय करने की स्थिति बेहतर हो गई है। भारत सरकार ही नहीं, समस्त भारतीय पूंजीवादी प्रचार-तंत्र ने इसे मोदी सरकार की वाहवाही के रूप में प्रचारित किया इस बात को पूर्णतया छिपाते हुए कि यदि यह सच भी है तो इसकाकेवल यही मतलब है कि पूंजीपति वर्ग को लूट की और ज्यादा छूट मिल गई है। इसके बाद इस महीने प्यू नाकम सर्वेक्षण कंपनी ने रपट जारी की कि साढ़े तीन साल सत्ता में रहने के बाद भी मोदी की लोकप्रियता बनी हुई है। तीन चौथाई से ज्यादा भारतीय उन्हें पसन्द करते हैं। बस प्यू ने यह नहीं बताया कि मोदी को पसंद करने वाले ये भारतीय आत्महत्या करते किसान, बेरोजगार मजदूर, भूखे आदिवासी हैं या तेजी से और ज्यादा अमीर होते पूंजीपति ? अंत में अभी-अभी मूडी नामक रेटिंग एजेन्सी ने भारत की उधार साख को एक स्तर बेहतर कर दिया है। यह उसने तेरह साल बाद किया। मोदी के सारे समर्थक भी इसे ले उड़े बिना इस बात की चिन्ता किये हुए कि स्वयं मोदी सरकार के कारकूनों ने इस एजेन्सी की साख पर सवाल खड़े कर रखे हैं।

इसके अलावा भी पूंजीवादी प्रचारतंत्र में हर रोज दुनिया भर से खोज-खोज कर मोदी की प्रसंशा में झूठी-सच्ची खबरें प्रचारित की जा रही हैं। किसी भी साम्राज्यवादी ऐरे-गैरे द्वारा मोदी तारीफ में कहा गया कोई भी वाक्य एक बेमिसाल तमगे की तरह प्रदर्शित किया जा रहा है।
इन सारे संकेतों का मंतव्य स्पष्ट है। किसी भी कीमत पर मोदी और उनकी सरकार की गिरती साख को बचाना है। पिछले साढ़े तीन सालों ने बहुत धैर्यवान लोगों को भी मोदी पर सवाल उठाने पर मजबूर कर दिया है। राहुल गान्धी की लोकप्रियता अचानक बढ़ने लगी है। ऊपर से गुजरात चुनाव सामने हैं जिसका विकास माॅडल अब आलोचना ही नहीं मजाक का विषय बन गया है।
अब इस बात की संभावना दीख रही है कि सर्किट के सारे प्रयासों के बाद भी मुन्ना भाई उर्फ फेंकू दोबारा प्रधानमंत्री न बन सके। पर मजदूर वर्ग के लिए यह कोई तसल्ली की बात नहीं होगी कि उसका स्थान बुद्धिमान बन रहा पप्पू ले ले। मजदूर वर्ग की मुक्ति तो सारे मुन्ना भाइयों - सर्किटों, सारे फेकुओं-पप्पूओं से मुक्ति में है।

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