Thursday, December 21, 2017

पूंजीवाद में कानूनी लूट

बहुचर्चित 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में अततः अदालत का फैसला आ गया। अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया। आरोपियों में ए.राजा और कानीमोझी जैसे बड़े नेता थे तो अनिल अंबानी की कंपनी के बड़े अधिकारी भी।
न्यायाधीश ने बहुत कड़े शब्दों में फैसला सुनाया और सी.बी.आई. को कटघरे में खड़ा किया। कम से कम इस मामले में सी.बी.आई. पर स्वतः लापरवाही का आरोप नहीं लगाया जा सकता क्योंकि उसे नियंत्रित करने वाली वर्तमान सरकार का पूरा हित था इसमें। कुछ समय पहले यदि करुणानिधि की मोदी से दोस्ताना मुलाकात में कुछ छिपा हो तो आश्चर्य नहीं कहा जा सकता।

फैसले के पीछे इस तरह के घपले हों या न हों, एक बात पर जरा भी शक नहीं है। मामला चाहे टू जी स्पेक्ट्रम का हो या कोयला घोटाले का, यह किसी आपराधिक घोटाले का मामला नहीं है। इन दोनों में सरकार के फैसलों को रद्द करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा था कि सरकार को नीतिगत फैसले करने का अधिकार है। यह अलग बात है कि इस घोषणा के बाद उसने सरकार को निर्देश दिया कि वह फिर से नीलामी के जरिये स्पेक्ट्रम या कोयला खानों का आवंटन करे। कोयला घोटाले में कुछ अफसरों को सजा भी हुई तो किसी नीतिगत फैसले के लिए नहीं बल्कि किन्हीं विशिष्ट खानों के आवंटन में पक्षपात के लिए। यहां तक कि भाजपाई भी कहते हैं कि इन घोटालों की नीतियों का निर्णय लेने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व्यक्तिगत तौर पर ईमानदार हैं। यानी एक ईमानदार व्यक्ति ने बेईमानों के लिए नीतिगत निर्णय लिया।
असल में स्पेक्ट्रम या कोयला घोटाला वह कानूनी लूट है जो उदारीकरण-निजिकरण-वैश्वीकरण के पिछले तीन-चार दशकों से धड़ल्ले से चल रही है। इसे किसी अदालत में अपराध नहीं साबित किया जा सकता। यही कानूनी लूट तो असल में बहुप्रचारित गुजरात विकास माॅडल है। यही तो पिछले सालों मे तेज विकास दर विकास के पीछे का सच है। हर तरह से पूंजीपति वर्ग की सरकार द्वारा पैसा लुटाना-यही आज का सर्वोच्च विकास है। यह स्पेक्ट्रम या कोयला खान की बिना नीलामी के आवंटन के जरिये हो सकता है, यह हर साल बजट मुकेश अंबानी के फोर जी के जरिये हो सकता है, यह हर साल बजट में पूंजीपति वर्ग को पांच-छः लाख करोड़ के प्रोत्साहन के जरिये हो सकता है इत्यादि-इत्यादि। इसमें सरकार द्वारा शिक्षा स्वास्थ्य इत्यादि में कटौती शामिल है।
यह पूंजीपति वर्ग और उसकी लूट पूरी प्रचार मशीनरी की सफलता है कि वह असली  और कानूनी लूट पर से ध्यान हटाकर सारा ध्यान ‘घोटालों’ और भ्रष्टाचार पर केन्द्रित कर देती है। फिर कोई बाजीगर अपनी ईमानदारी का ढिंढोरा पीटते हुए पूंजीपति वर्ग की असली लूट को बढ़ाता रहता है। यहां तक कि वह इसका एक माडल ही खड़ा कर देता है जिसे वह पूरे देश के स्तर पर लागू करना चाहता है।
आज आवश्यक्ता है पूंजीपति वर्ग और उसके कारकूनों की इस धोखाधड़ी को उजागार करने की।

1 comment:

  1. This is very interesting article thanks for such a useful blog. I like the background specially.
    Thanks,
    Tamilyogi

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