Saturday, December 26, 2015

सांप के गले में छछूंदर

      भाजपाई इस समय अजीब सांसत में हैं। वे अपने ही फैलाए जाल में इस तरह उलझ गये हैं कि देखते ही बनता है। वे कहावत के सांप की तरह हो गये हैं जिनके गले में छछूदंर अटक गया है।
केन्द्र की भाजपा सरकार ने सी.बी.आई. का इस्तेमाल करके केजरीवाल एण्ड कंपनी को हलकान करने की सोची। उन्होंने केजरीवाल एण्ड कंपनी की लगातार मैली होती जा रही चादर पर एक और बड़ा सा दाग लगाने की सोची। इसके लिए उन्होंने केजरीवाल के ही मुख्य सचिव को निशाने पर लिया।
पर केजरीवाल एण्ड कंपनी इनसे ज्यादा तेज निकली। उन्होंने तुरंत मौके का इस्तेमाल मोदी सरकार को घेरने में किया। यदि मोदी सरकार ने निशाना केजरीवाल के मुख्य सचिव को बनाया तो केजरीवाल एण्ड कंपनी ने निशाना मोदी सरकार के नंबर दो यानी बड़बोले अरुण जेटली को बनाया।
केजरीवाल एण्ड कंपनी अपने मकसद में सफल भी हो गये, खासकर इसलिए कि जिस मुद्दे को वे उठा रहे थे वह स्वयं भाजपा के सांसद कीर्ति आजाद का पिछले नौ सालों का मुद्दा था। परिणाम यह निकला कि भाजपा को जेटली को बचाने के लिए अपने ही सांसद को निलंबित करना पड़ा। यह निलंबन भाजपा पर और भारी पड़ रहा है क्योंकि इससे उसके अंदर असंतोष के सुर और तेज हो गये हैं। भाजपा के बूढ़े एक बार फिर सक्रिय हो गये हैं। 
सभी पूंजीवादी नेताओं की तरह अरुण जेटली उतने ही ईमानदार या उतने ही भ्रष्ट हैं। यानी वे भ्रष्ट हैं पर अभी तक किसी कानूनी फन्दे में नहीं आये हैं इसलिए ईमानदार माने जाते हैं। उन पर यह फन्दा कसता नजर आता है और भाजपा उन्हें फन्दे से बचाने के लिए फन्दा फेंकने वालों को ही ठिकाने लगा रही है। 
रही केजरीवाल एण्ड कंपनी की बात तो उन्होंने इस प्रकरण के द्वारा दिखाया कि उन्होंने काफी कम समय में पूंजीवादी राजनीति में महारत हासिल कर ली है। वे घुटे हुए रातनीतिज्ञों के कान काटने लगे हैं। अब वे भी लगातार भ्रष्टाचार में लिप्त होते हुए ईमानदारी की चादर लपेटे रह सकते हैं और अपनी ओर उंगली उठने पर दूसरों को कालिख से पोत सकते हैं। 

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