Tuesday, September 1, 2015

यूरोप का शरणार्थी संकट

    यूरोप के साम्राज्यवादी देश आज अपने ही कुकर्मों के दुष्परिणामों का बड़े पैमाने पर सामना कर रहे हैं। लीबिया, सीरिया और अफगानिस्तान से लाखों शरणार्थी उनके दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। 
इन देशों को तबाह करने में प्रमुख भूमिका अमेरिकी साम्राज्यावादियों की रही है। पर यूरोपीय साम्राज्यवादियों ने भी इसमें इनका पूरा साथ दिया। इनके द्वारा ढाई गयी तबाही से इन देशों में लाखों लोग मारे गये हैं, उसके दस गुना विस्थापित हुए हैं और अब बहुत सारे लोग सुरक्षा की तलाश में यूरोपीय देशों में शरण लेने के लिए समुद्र में अपने जान की बाजी भी लगा रहे हैं। 
इस समय यूरोप के भूमध्यसागरीय तटों के यूरोपीय देशों की ओर बड़ी मात्रा में शरणार्थी आ रहे हैं और समुद्र तट पर उतर रहे हैं। ये तटीय देश बाकी यूरोपीय देशों से मांग कर रहे हैं कि वे इन शरणार्थियों को अपने यहां आने दें। बाकी इससे बचना चाहते हैं या संख्या कम से कम करना चाहते हैं। इन देशों के बीच इस सवाल को लेकर तकरार काफी बढ़ चुकी है।
ये वही साम्राज्यवादी हैं जो सारी दुनिया में पूंजी के मुक्त आवा-गमन के पक्के समर्थक हैं। अपनी पूंजी की खातिर ही इन्होंने इस देशों को तबाह किया है। पर अब वे इस तबाही के शिकार शरणार्थियों को शरण देने को तैयार नहीं।
बात केवल यहीं तक सीमित नहीं है। गरीब-तबाह देशों के ये शरणार्थी जब इन मुल्कों में सबसे निचले स्तर का काम कर किसी तरह अपना जीवन बसर करते हैं तो यह इन देशों के दक्षिणपंथियों के लिए अपनी घृणित राजनीति को आगे बढ़ाने का आसान जरिया बन जाता है। ये अपने यहां बेरोजगारी, भुखमरी इत्यादि सभी समस्याओं का कारण इन सबसे निचले स्तर का जीवन यापन करने वाले शरणार्थियों को बताने लगते हैं। यूरोप के लगभग सभी देशों में इस तरह की पार्टियों ने पिछले सालों में अच्छी खासी बढ़त हासिल की है। भारत के दक्षिणपंथियों यानी हिन्दू फासीवादियों के लिए इससे मिलता-जुलता मुद्दा बांग्लादेश से आने वाले गरीब मुसलमान शरणार्थियों का है जिन्हें वे बांग्लादेशी घुसपैठिये कहते हैं। 
यूरोप के साम्राज्यवादी अपने सिर पर आई इस बला को टालना चाहेंगे। पर सारी दुनिया समेत यूरोप के मजदूरों को भी मांग करनी चाहिए कि अपनी जान पर खेलकर आने वाले इन तबाह हाल शरणार्थियों के लिए इन देशों के दरवाजे खोले जायें और इनके प्रति किसी तरह की नस्ली हिंसा पर रोक लगायी जाये। 

No comments:

Post a Comment