2011 में इराक से अपनी सेनाओं की वापसी की औपचारिकता के बाद (वास्तव में वहां इसके बाद भी तीस-चालीस हजार सैनिक बने रहे) अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने एक बार फिर इराक पर बमबारी शुरू कर दी है। इस बार यह बमबारी इस्लामिक स्टेट ऑव इराक एण्ड सीरिया से इराकियों की रक्षा के नाम पर की जा रही है।
इस्लामिक स्टेट ऑव इराक एण्ड सीरिया (आई.स. आई. स.) नामक कट्टरपंथी संगठन, जिसके नेता ने कुछ दिनों पहले खुद को इस्लामी दुनिया का खलीफा घोषित कर दिया, अमेरिकी साम्राज्यवादियों और सऊदी शेखों की मदद से ही पैदा हुआ है। इन्होंने ही सीरिया में असद की सत्ता उखाड़ने के लिये इसे पाला-पोसा। सीरिया में मजबूत स्थिति हासिल कर लेने के बाद इसने इराक की ओर रुख किया और देखते ही देखते इराक के अच्छे-खासे हिस्से पर कब्जा कर लिया।
इस्लामिक स्टेट ऑव इराक एण्ड सीरिया (आई.स. आई. स.) नामक कट्टरपंथी संगठन, जिसके नेता ने कुछ दिनों पहले खुद को इस्लामी दुनिया का खलीफा घोषित कर दिया, अमेरिकी साम्राज्यवादियों और सऊदी शेखों की मदद से ही पैदा हुआ है। इन्होंने ही सीरिया में असद की सत्ता उखाड़ने के लिये इसे पाला-पोसा। सीरिया में मजबूत स्थिति हासिल कर लेने के बाद इसने इराक की ओर रुख किया और देखते ही देखते इराक के अच्छे-खासे हिस्से पर कब्जा कर लिया।
तब से ही साम्राज्यवादीयों के बीच से यह मांग उठती रही है कि (आई.स. आई. स.) को रोकने के लिए अमेरिका कार्रवाई करे। अब इसी मांग के अनुरूप अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने बमबारी शुरू कर दी है। हमेशा की तरह ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने इसका समर्थन किया है।
आई.स. आई. स. के पीछे अमेरिकी साम्राज्यवादियों के हाथ को देखते हुए और यह देखते हुए कि अमेरिकी साम्राज्यवादी इस मामले में टाल-मटोल करते रहे हैं, यह संदेहास्पद है कि बमबारी का मकसद आई.स. आई. स. को रोकना है। इराक की जटित स्थितियों में इनके अन्य दूसरे समीकरण ही काम कर रहे होंगे ।
यह गौरतलब है कि ठीक बगल में फिलीस्तीन में इस्राइल के जियनवादी शाषकों द्वारा फिलीस्तीनियों के नरसंहार को रोकने के लिए अमेरिकी साम्राज्यवादी कुछ नहीं कर रहे हैं। वैसे बमबारी का मदसद इस्राइल के घृणित कारनामों से ध्यान हटाना भी हो सकता है।
आई.स. आई. स. एक कट्टरपंथी संगठन है। इसका रिकार्ड बहुत बुरा है। लेकिन इसे रोकने के नाम पर इराक में हस्तक्षेप करने का साम्राज्यवादियों को अधिकार नहीं मिल जाता। यदि वे रोकना चाहते हैं तो अपना और सऊदी का समर्थन खींच लें, आई.स. आई. स. स्वतः ही ध्वस्त हो जाएगा । पर वे ऐसा नहीं करेंगे और इराक सहित पूरे अरब क्षेत्र में अपना घृणित खेल खेलते रहेंगे । इनका यह घृणित खेल और भी तबाही लाएगा ।
इसलिए साम्राज्यवादियों की ये चालें भत्र्सना योग्य हैं।
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