आज से अस्सी पहले जर्मनी में हिटलर के नाजियों ने एक शानदार कारनामा अंजाम दिया था। उन्होंने जर्मनी के संसद भवन में आग लगा दी और घोषित कर दिया कि यह काम कम्युनिस्टों ने किया है। इसके लिए कम्युनिस्टों को गिरफ्तार कर मुकदमा भी चलाया गया जिसमें बुल्गारिया की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता जार्जी दिमित्रोव भी थे। दिमित्र संयोगवश बर्लिन में थे।
नाजियों द्वारा संसद भवन में आग लगाकर उसका आरोप कम्युनिस्टों पर मढ़ना उस भयंकर दमन की शुरुआत थी जिसमें कम्युनिस्टों के बाद सुधारवादी मजदूर नेताओं, जनवाद के अन्य समर्थकों तथा यहूदियों को लपेटा गया। इसी के साथ हिटलरी शासन अथवा नाजी शासन का आरंभ हो गया।
आज 27 अक्टूबर को पटना मे भगवा नरेन्द्र मोदी की रैली के ठीक पहले बम धमाके, जिसमें पांच लोग मारे गये और छियासठ लोग घायल हुए, क्या इसी तरह का ‘फाल्स फ्लैग आपरेशन’ था जिसे किन्हीं गुमनाम आतंकवादियों के मत्थे मढ़ा जाना है जिसका मतलब होगा मुस्लिम आतंकवादी। इससे स्वभावतः ही मुस्लिम विरोधी माहौल बनाने में मदद मिलेगी जो आने वाले चुनावों में भाजपा के बहुत काम आयेगा। पिछले सालों में हिन्दुत्व आतंकवादियों द्वारा बम धमाके कर उन्हें मुस्लिम जिहादियों के मत्थे मढ़ने की पर्याप्त घटनाएं हो चुकी हैं।
यदि ऐसा नहीं भी है और यह हमला वास्तव में मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा किया गया था तो भी यह मोदी, भाजपा और संघ परिवार के लिए बहुत फायदेमंद है। वे ऐसे हमले चाहेंगे। इससे उन्हें अपने पक्ष में माहौल बनाने में मदद मिलेगी। यह मुस्लिम आतंकवादियों के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि ये दोनों एक-दूसरे को क्रिया-प्रतिक्रिया के नियमानुसार पोषते हैं।
आज इन दोनों की ही इन घृणित कारस्तानियों के समझने की जरूरत है और जरूरत है इनका पर्दाफाश करने की।
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