Tuesday, October 30, 2012

फर्जी मुकदमों के खिलाफ उत्तराखंड राज्य सचिवालय पर प्रदर्शन

             देहरादून, 29 अक्टूबर, इंकलाबी मजदूर केन्द्र के तीसरे सम्मेलन के दौरान इ.म.के. सदस्यों व खुले सत्र तथा जुलूस के कार्यक्रम में भाग लेने वाले विभिन्न जनसंगठनों व ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों पर विभिन्न संगीन अपराधिक धाराओं के तहत लगाये गये फर्जी मुकदमों के खिलाफ सैकड़ो मजदूर, छात्र व नागरिक प्रतिनिधियों  ने उत्तराखंड राज्य सचिवालय पर जोरदार प्रदर्शन किया।
             प्रदर्शन के दौरान उत्तराखंड राज्य सरकार व पुलिस प्रशासन की इस कार्यवाही की भर्त्सना करते हुए जोरदार नारेबाजी की गयी। प्रदर्शनकारी ‘फर्जी मुकदमें वापस लो’, ‘फर्जी मुकदमें लगाने वाले पुलिस अधिकारियों को दंडित करो’, ‘अभिव्यक्ति की आजादी का हनन बंद करो’ जैसे नारे लगा रहे थे। इस दौरान जोशोखरोश के साथ एक सभा की गयी। सभा में उत्तराखंड सरकार की इस कार्यवाही को कायराना एवं फासीवादी बताया गया। सभा को संबोधित करते हुए बरेली ट्रेड यूनियन फेडरेशन के शांत ने कहा कि शांतिपूर्ण जुलूस पर फर्जी मुकदमे लगाने की यह कार्यवाही संविधान प्रदत्त मूलभूत अधिकारों का हनन है जिसका हर न्याय प्रिय व जनवादी व्यक्ति को विरोध करना ही होगा। सभा को संबोधित करते हुए क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के अध्ययक्ष पी.पी. आर्य ने कहा कि उत्तराखंड पुलिस प्रशासन को यह कार्यवाही मजदूर आंदोलनों को कुचलने की नीयत से की गयी फासीवादी कार्यवाही है। लेकिन ऐसे दमनात्मक कृत्यों से जनता का कोई भी न्यायपूर्ण संघर्ष कभी भी पराजिन नहीं किया जा सका है। सभा को संबोधित करते हुए उत्तराखंड परिवर्तन परिवर्तन पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजीव कोठारी ने कहा कि अगर उत्तराखंड सरकार इ.म.के. व विभिन्न ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं पर लगाये गये फर्जी मुकदमे वापस नहीं लेता तो प्रदेश स्तर पर संयुक्त तौर पर सभी जनवादी संगठन इसके खिलाफ आंदोलन चलायेंगे तथा सरकार को झुकाकर दम लेंगे।
              सभा को फेडरेशन फ़ॉर  डेमोक्रेटिक राइट्स पंजाब के नेता व पत्रकार नरभिंडर सिंह ने कहा कि आजादी के इतने साल बाद भी पुलिस का चरित्र औपनिवेशिक बना हुआ है। उत्तराखंड सरकार ही नहीं पंजाब, हरियाणा,झारखंड,छत्तीसगढ़,तमिलनाडु व आन्ध्र प्रदेश हर जगह पुलिस अंग्रेजो के जमाने से भी बर्बर व्यवहार जनता से कर रहीं है । उन्होंने तमिलनाडु में कुडनकुलम पावर प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस द्वारा की गयी बर्बर कार्यवाही व 55 हजार लोगों पर तमिलनाडु सरकार द्वारा देशद्रोह का मुकदमा लगाने की कार्यवाही को देश के इतिहास में अभूतपूर्व बताया।  सरकारों के लगातार बढ़ते दमनात्मक तौर तरीकों को पूंजीवादी शासकों की घबराहट का नतीजा बताया। उन्होंने इस घटना की तीव्र निंदा करते हुए इसके खिलाफ व्यापक जन प्रतिरोध खड़ा करने की जरूरत को रेखांकित किया तथा इस संबंध में फेडरेशन फ़ॉर  डेमोक्रेटिक राइटस की तरफ से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
              सभा को जनअधिकार संघर्ष समिति कोटद्वार, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र, क्रांतिकारी जनवादी मोर्चा, ब्रिटानिका श्रमिक संघ, परिवर्तनकामी छात्र संगठन के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया। सभा का समापन करते हुए इंकलाबी मजदूर केन्द्र के अध्ययक्ष कैलाश भट्ट ने कहा कि हम आज यहां केवल अपना विरोध जताने आये हैं और अगर सरकार ने इ.म.के. और विभिन्न ट्रेड यूनियनों व जनसंगठनों के कार्यकर्ताओं पर लगाये गये फर्जी मुकदमे वापस नहीं लिए तो प्रदेश में इसके खिलाफ जनआंदोलन छेड़ा जायेगा और उसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
            सभा के अंत में एस.डी.एम. देहरादून को मुख्यमंत्री के नाम प्रषित एक ज्ञापन सौंपा गया जिसमें फर्जी मुकदमों को खारिज करने व दोषी पुलिस अधिकायिों को दंडित करने की मांग की गयी। ज्ञापन में संलगन के बतौर 15 अक्टूबर को जूलूस व सभा हेतु  एस.डी.एम. हरिद्वार को सौंपा गया सूचना पत्र जिसमें एस.डी.एम. के द्वारा जूलूस के दौरान शांतिव्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस को निर्देश अंकित है व 15 अक्टूबर के दिन जुलूस का मार्ग निर्देशन करते पुलिस कर्मियों के फोटोग्राफ की प्रतियां भी सौंपी गयीं।
            सभा व प्रदर्शन से पूर्व देहरादून परेड ग्राउंड में इकट्ठे होकर सचिवालय तक एक जुलूस निकाला गया जिसमें पुलिस प्रशासन व उत्तराखंड सरकार के खिलाफ जबर्दस्त नारे बाजी की गयी। घंटाघर चैक से होता हुआ यह जुलूस सचिवालय तक पहुंचा जहां जबर्दस्त नारेबाजी के बाद सभा में परिवर्तित हो गया।

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