भारत के पूंजीपति वर्ग ने अपनी भ्रष्ट करतूतों से पैदा हुए जन आक्रोश को ठंडा करने के लिए अपनी दूसरी सुरक्षा पंक्ति को झोंक दिया है। इस समय इसकी जूठन पर पलने वाले ढेरों गैर सरकारी संगठन अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर विभ्रम फैलाने में जमीन-आसमान एक किये हुए हैं । कुछ समय पहले योग को उपभोक्ता माल बनाकर बेचने वाले बाबा रामदेव भी भ्रष्टाचार को लेकर जुलूस प्रदर्शन करने में लगे हुए थे।
अन्ना हजारे और उनके साथ के एन. जी. ओ. वाले, मालिक व कारकून, मांग कर रहे हैं कि उनके द्वारा प्रस्तावित जन लोक पाल बिल संसद में लाया जाये और पास किया जाये। उनके हिसाब से यदि बिल पास हो जाता है तो देश में भ्रष्टाचार पर रोक लग जायेगी। ये चतुर-चालाक लोग
अन्ना हजारे और उनके साथ के एन. जी. ओ. वाले, मालिक व कारकून, मांग कर रहे हैं कि उनके द्वारा प्रस्तावित जन लोक पाल बिल संसद में लाया जाये और पास किया जाये। उनके हिसाब से यदि बिल पास हो जाता है तो देश में भ्रष्टाचार पर रोक लग जायेगी। ये चतुर-चालाक लोग
मजदूर-मेहनतश जनता को यह समझाना चाहते हैं कि एक कानून पास करने से भ्रष्टाचार मिट जायेगा। बस वे यह नहीं बताना चाहते कि जब पहले से मौजूद पचासों कानून भ्रष्टाचार नहीं मिटा सके तो एक और कानून कैसे इसे मिटा देगा?
ये चतुर-चालाक लोग, जो पूंजीपति वर्ग से मिलने वाली जूठन के बल पर ऐश करते हैं और अपना समाज सेवा का धंधा चलाते हैं, वे बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि किसी कानून से भ्रष्टाचार नहीं मिट सकता। यही नहीं, वे यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि यदि देश से भ्रष्टाचार मिट गया तो स्वयं उनका अपना धंधा समाप्त हो जायेगा। वे बेरोजगार हो जायेंगे और उन्हें मेहनत-मशक्कत करके जीवन यापन करना पड़ेगा जो वे कभी नहीं करना चाहेंगे। वैसे आज एन. जी. ओ. का धंधा भी बड़े पैमाने का भ्रष्टाचार बन गया है। जो लोग जन लोक पाल बिल का हंगामा खड़ा किये हुए हैं वे खुद कालिख से पुते हुए हैं।
समय-समय पर इस तरह का फर्जी हंगामा पूंजीपति वर्ग के बहुत फायदे में है। इससे असली समस्याओं और मुद्दों से ध्यान हटाने में बहुत मदद मिलती है। यह पूंजीपति वर्ग हित में हैं कि यह स्थापित हो कि हमारे समाज की मुख्य समस्या भ्रष्टाचार है। इससे महंगाई, बेरोजगारी, कंगाली जैसी वास्तविक समस्याओं से ध्यान हटता है। यदि कोई इनके बारे में सोचता भी है तो यही लगता है कि यह भ्रष्टाचार के कारण है। यदि भ्रष्टाचार न हो तो सब ठीक हो जायेगा। पूंजीपति वर्ग के लिए इससे अच्छी बात क्या होगी?
इसलिए भ्रष्टाचार पर यह नाटक अन्ना हजारे जैसे धंधेबाजों, पूंजीपतियों और सरकार के सहयोग से कुछ समय तक चलता रहेगा। इसके बाद एक मुकाम पर आकर इसका पटाक्षेप कर दिया जायेगा। जिससे कुछ समय बाद बदले हुए रूप में यह ड्रामा चालू किया जा सके।
मजदूर वर्ग इस ड्रामें की हकीकत जानता है। वह जानता है कि इस ड्रामे से रत्ती भर फरक नहीं पड़ने वाला। वह यह भी जानता है कि भ्रष्टाचार का यह सारा मामला उसके द्वारा पैदा की गई दौलत की पूंजीपतियों के बीच बंदरबांट का मामला है वह जानता है कि भ्रष्टाचार पूंजीवादी व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा है और केवल पूंजीवाद का खात्मा ही इसे समाप्त कर सकता है। इसीलिए वह अन्ना हजारे एण्ड कंपनी के ड्रामे को घृणा व हिकारत की नजर से देखता है।
kuchh hazam nahi hua
ReplyDeleteLok-Pall bill se waise dikkat kya h ?
ReplyDeleteKoi kisi baat pr virodh karta h to koi kisi baat pr......sabke aapne-aapne tarike h....Bharshtachaar rokne k kai kanoon h....ek aur aazma kr dekha jayega to dikkat kya h.....waise Anna anshan nahi bhi karta to sarkar ki sehat pr koi fark nahi parta...bahut be-sharm h sarkaar ! Mazdooro ke hiteshi sangthano n kaun si kranti kr di......duniya m krantiya ho rahi h.....aur ek hum commred h...jo khaali baaten karte h.........aur baaton ka hi khaate h.........
ReplyDeleteKannono ko ajmate hue 60 sal ho gaye par bhrastachar me koi kami nahi aayee. Phir kanoon banen ki jid kyon? punjipati mehnatkaso ke khoon-pasine ki kamai ko kanooni jama pahanakar hajam kar jata hai kya yah bhrastachar nahi hai? Kya anna hajare aur unke himaiti punjipatiyon ke is nizam ko lokpal bill ke dayre me layenge?
ReplyDeleteeducateall ji kah to esa hi rahe h ki har tarah ke brashtachaar pr lagaaaam lagegi....Lok-Pall...bill se.......aur jo hogaaaa sabke saaamne hogaaa.....wo bhi dekh lenge is Lok-Pall k fayde aur nukshan / ....ab kaun-sa bhala ho raha h= public ka / Log khaaali jaaati-jaaati hi chillate h.....sab apni jaaat ki baat karte h..............public k aaam mooodon pr baat aaj-kal dabi jubaaan se ki jati h / harek cheez ki ati ho gai h.........aur ek hum h ki ek Anna ke anshan ko lekar bokhala gaye h.....Anna ka anshan na hu koi aafat ho gai.....Lag to kuchh esa hi raha h /
ReplyDeleteSudesh Bhardwaj jee, PSU wale,
ReplyDeleteAnna with aid of media and other appratus of this system trying to defuse the anger of the people against price hike, corrouption , exploitation of toiling masses. Thus the exposure of anna hazare's movement is necessary. This capitalist system has failed to deliver and its overthrow by revoloutionary upsurge is quite necessary. Those who want a system of delivery must strive for the same.